Thursday, December 31, 2015

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Saturday, October 19, 2013

किसी व्रत की कथा पढ़ने से ज्यादा पुण्य इसे पढ़ने से मिलेगा।


अपने बच्चों के जन्मदिन पर इसे जरूर उसकी फोटो व नाम सहित छपाएं। किसी व्रत की कथा पढ़ने से ज्यादा पुण्य इसे पढ़ने से मिलेगा।
प्रिय अभिभावक,
आपके बच्चे स्कूल जाते हैं? बच्चों के जीवन के कीमती वर्ष, अपना बहुत सारा पैसा बिता कर आप तथा आपका बच्चा पाता क्या है? परीक्षाएँ पास कर लेने के बदले एक मार्कशीट? जिसमें लिखा होता है कि आपके बच्चे ने किस विषय में कितने अंक पाए?

क्या आप जानते हैं कि इन अंकों का ये मतलब होता है कि जितने अंक आए हैं, इस वर्ष बच्चे ने जो निर्धारित पुस्तक पढ़ी है उस पुस्तक की उतना प्रतिशत विषय वस्तु की समझ आपके बच्चे को है। उदाहरण के लिए अंग्रेजी में अगर 100 में से 70 अंक आए हैं तो इसका अर्थ ये हुआ कि उसे अपनी पुस्तक का लगभग 70% भाग अच्छी तरह से समझ आता है। गणित में अगर 100 में से 82 अंक आते हैं तो इसका अर्थ होता है कि बच्चे को करने के लिए दिया जाए तो लगभग 82 प्रतिशत गणित वह कर के दिखा सकता है।

ज्यादा अंक आना इस बात का प्रमाण है कि आपके बच्चे को उन विषय की ज्यादा समझ है। यह मार्कशीट वैसे ही होती है जैसे एक किराणा व्यापारी बैग में 10 थैलियों में चीजें डाल कर हर वस्तु का नाम और वजन लिख कर आपको अलग से एक पर्ची पकड़ाता है। हर थैली में रखी वस्तु का नाम और उस थैली में रखी वस्तु का वजन लिखा हो तो आपको पूरा थैला देखना नही पड़ेगा। परंतु क्या कभी आप पर्ची पर भरोसा कर लोगे? या खोल खोल कर हर चीज की और उसके वजन की जाँच करोगे?

सोचिये, किसी दिन आपके घर के आगे एक गाड़ी आए। एक बड़ी सी बोरी जिसमें 5 किलो चीनी हो और बड़े बड़े अक्षरों में उस पर लिखा हो “वजन 100 किलो”। आकार इतना बड़ा कि आपके पड़ोसी भी पढ़ लें। वे भी आपके घर आई इतनी चीनी पर मुस्कुरा दें। क्या वजन पढ़ कर आप विक्रेता की तोली हुई 100 किलो चीनी मंजूर कर लेंगे? कम तोलकर ज्यादा दिखाने वाला दुकानदार अपना काम निरंतर करता जाए और ग्राहक 5 किलो तुली चीनी पर लिखे 100 किलो वजन को मंजूर करता जाए तो दुकानदार तो अमीर हो जाएगा परंतु जानबूझकर या अंजाने में ग्राहक को यह गलत आदत लग जाए तो वह बरबाद हो जाता है।

कल्पना करें आपने बच्चे को 10 किलो चीनी लाने के लिए भेजा, वजन उठाने के आलस या डर से वह 4 किलो ही चीनी लेकर आए तो क्या आपको मंजूर होगा? दुकानदार से उसका समझौता हो जाए कि वह हर बार कम तुलवा कर ज्यादा लिखा लाए तो स्थिति आपके लिए और खतरनाक हो जाती है। स्कूल में बच्चा जब पढ़कर वर्ष के अंत में मार्कशीट लेकर आता है तो अच्छे नम्बर देख कर हम खुश हो जाते हैं। अक्सर मिठाई भी बाँटते हैं। अच्छे नम्बर लाने के नाम पर बच्चे अक्सर घर में ईनाम भी पाते हैं। बिना तोले जब आप किराणे के व्यापारी के दिए गये थैले पर विश्वास नही करते तो स्कूल की दी गई मार्कशीट पर विश्वास कैसे कर लेते हैं?

भारत भर में आजकल स्कूलों में इस तरह की भारी ठगी चल रही है। अपने बच्चे के भविष्य के लिए आपको उन पर धन खर्च करने के अलावा और भी कदम उठाने होंगे। अन्यथा, अधिकाँश अभिभावक आज विद्यालयों में ठगे जा रहे हैं। चौकस अभिभावक भी आजकल इतना भर कर रहे हैं कि घर पर उसकी देखभाल करने के लिए अतिरिक्त धन और समय खर्च कर रहे हैं। ये वैसे ही है जैसे सिनेमा हॉल में टिकट कटा कर तीन घण्टे बरबाद भी करें और पिक्चर भी नही देखें। रास्ते में आते हुए उस पिक्चर की एक डीवीडी पर पैसा खर्च करें और घर पर तीन घण्टे और बरबाद करें।

बाजार की चीजें खरीदते हैं तो कम तोलकर ज्यादा लिखने पर आप दुकानदार के पास शिकायत के लिए जाते हैं। हैरानी की बात है कि स्कूल में आपके बच्चे को कम पढ़ाकर ज्यादा अंक दे दिये जाने पर खुश होते हो कभी शिकायत भी नही करते। कम तुले पर अधिक की पर्ची चिपकी देख कर आप खुश हो तो कौन अध्यापक आपके बच्चे को झूठे नम्बर देकर वजन नही बढ़ा देगा?

बोर्ड की परीक्षाओं और विश्वविद्यालयों में भी जान छुड़ाने के लिए परीक्षा कॉपियों में अधिक नम्बर दे दिये जाते हैं। क्या आप साहस करोगे कि उपभोक्ता अदालतों में ऐसे मामले लाकर शिक्षातंत्र पर सवाल उठा सको? इन तथ्यों पर आप खुद विचार करें और अन्य अभिभावकों को भी सोचने के लिए प्रेरित करें। धन्यवाद। 

Tuesday, June 2, 2009

Welcome Teachers ... can you see a great business in this letter?

Global Organization for Learning & Development
(National Unit for promotion of Psychology & Technology in Education)
Head Office: RZ8A - H Block, West Sagarpur,
New Delhi 110046
दिनांक: ...............................

निदेशक,………………………………………………….. विद्यालय,
महोदय,नमस्कार।
शिक्षा का उद्देश्य नागरिक का समग्र विकास है। नागरिक के समग्रविकास की पहचान इस बात से होती है कि वह समाज की तेजी से बदलती हुईपरिस्थितियों के बीच अपने आप को कितनी कुशलता से समायोजित कर सकता है। औरविकास की धारा में अपनी भूमिका का निर्वाह कितनी कुशलता से कर सकता है। तीव्र तकनिकी विकास के परिणाम स्वरूप आज समाज की परिस्थितियों में जितनीतेजी से बदलाव हो रहा है उस गति से आवश्यकता के अनुसार ‘औपचारिक शिक्षाप्रणाली’ में परिवर्तन सम्भव नही हो पा रहा है। फलस्वरूप शिक्षा पूर्ण करचुका नागरिक भी निरंतर परिवर्तनशील परिस्थितियों में खुद को समायोजित करसकने और अपनी रचनात्मक भूमिका चुन सकने में असहाय पाता है। ऐसे में सारा औपचारिक शिक्षा तंत्र अथक प्रयासों के बावजूद नाकारा साबित हो जाता है।‘औपचारिक शिक्षा प्रणाली’ की परिवर्तन की अपनी सीमाएं है, परंतु समाज कीनिरंतर परिवर्तनशील परिस्थितियों के अनुरूप ‘अनौपचारिक शैक्षणिकगतिविधियों’ का अनुसन्धान, विकास, प्रयोग, प्रशिक्षण व परिणामों कापरीक्षण सम्भव है। “ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन फॉर लर्निंग एण्ड डवलपमेंट” अनौपचारिक शैक्षणिकगतिविधियों के अनुसन्धान, विकास, प्रयोग, प्रशिक्षण व परिणामों केपरीक्षण का एक भारतीय संगठन है जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर की समझ के साथकार्यशील है। शिक्षा में मनोविज्ञान व तकनीक के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देना भी इससंगठन के अनेक उद्देश्यों में से एक उद्देश्य है। .................. शहर व इसके आस पास के क्षेत्र के विद्यालयों के लिए यह संगठनसमयानुकूल आवश्यकताओं की पूर्ति का उत्सुक है। उपरोक्त परिस्थितियों के सन्दर्भ में यह संगठन आपसे एक वार्षिक अनुबन्धका प्रस्ताव करता है जिसके अंतर्गत आप संगठन को अपनी रूचि, सामर्थ्य केअनुसार आर्थिक सहयोग प्रदान करने की सहमति दें तो आपको निम्न लिखितसेवाएं दी जा सकती है –
 शिक्षकों का प्रशिक्षण।
 विद्यार्थियों को जीवन कौशल प्रशिक्षण।
 वर्ष भर में आकस्मिक कारणों से (अध्यापक के अचानक छुट्टी पर चले जानेआदि के कारण) होने वाले रिक्त कालांश में विद्यार्थियों को निर्बाधअध्यापन।
 ऐच्छिक विषयों के चुनाव में मनोवैज्ञानिक परिक्षणों के आधार पर सहयोग।
 औपचारिक परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन हेतु मार्ग दर्शन।
 कैरियर कौंसलिंग।
 ग्रुप डिस्कसन व इंटरव्यू स्किलस् से परिचय।
 आर्थिक बुद्धिमता का विकास।
 आध्यात्मिक जीवन शैली अपनाने हेतु वैज्ञानिक समझ का विकास।
 अनुसन्धान, प्रयोग व परीक्षणों में विद्यार्थियों व शिक्षकों की भागीदारी।
 अभिभावक परामर्श।
 ... Other tailor-made programs.

..................... जिले की शैक्षिक वेबसाइट बनाई जानी प्रस्तावित है। इस वैब साइट परविद्यालयों का पूर्ण परिचय, फ़ोटोग्राफ, परसनल ईमेल, वार्षिक परीक्षापरिणाम में प्रमुख परिणामों का सचित्र प्रकाशन आदि शामिल है। इस वेबसाइटपर साझेदार विद्यालयों को प्रमुखता से स्थान दिया जाएगा। प्रमुखता का यहक्रम आपके सक्रिय सहयोग, आर्थिक सहयोग, प्रयोग, अनुसन्धान आदि मेंभागीदारी से निश्चित होगा। अगर आप यह प्रस्ताव स्वीकार करते हैं तोविस्तृत परिचय देते हुए आवेदन पत्र के साथ 500 रूपये का शुल्क -processing fee+website charges ( Global Organization for Learning &Development, Churu के पक्ष में देय चेक) जमा कराएं।
धन्यवाद।
भवदीय
you can be here.
जिला संयोजक
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